आज कल बवासीर एक बहुत ही आम बिमारी होती जा रही है। प्रायः यह देखा गया है कि इस बिमारी से ग्रसित हो जाने पर भी रोगी इसके कश्ट को सहते हुए इसे गुप्त रखते ह़ैं। जिसके कारण रोगी उस समय तो कश्ट भोगता ही है। इसके अलावा इसके दूरगामी परिणाम बहुत ही भयानक होते हंै। बवासिर के रोगी को कदापि यह नही समझना चाहिए कि वे मात्र बवासीर से ही पिडित हैं क्योंकि वे बताये गए बवासीर के कारणो़ं में से किसी भी एक कारण से ग्रसित हो सकते हैं।
बवासीरः- मलाषय की षिराएंॅ फूल जाती हंै। व इनमे खून जमा हो जाता है और इनमे से खून निकलने लगता है। इस स्थिति में दर्द व खुजली भी हो सकती है।
लक्षणः-
मल त्यागते समय दर्द अथवा जलन
मल के समय खून आना
मल त्यागते समय कुछ गांठनुमा बाहर आना
बाद में अत्यधिक खून जाने के कारण रक्त की कमी (एनिमिया) होना, चक्कर आना, आखों के आगे अन्धेरा छाना, थोडा सा काम करने पर थकान महसूस होना इत्यादि।
कारणः–
कब्ज के कारण मल त्यागते समय ज्यादा जोर लगाने से
मोटापा – मोटापे के वजह से मलाषय की षीराओं पर दबाव के कारण
गर्भावस्था के कारण उच्च रक्तचाप के कारण
अत्यधिक तम्बाकू, गुटखा, बिडी, सिगरेट एवं षराब के सेवन से
लिवर (यकृत) सम्बन्धी रोगो के कारण उत्पन्न उच्च रक्तचाप (पोर्टल हाइपरटेन्षन) के कारण
खाने मे प्र्याप्त मात्रा मे पानी न होने के कारण मलाषय मे उपदाह पैदा होता है।
प्रायः बवासीर रोगी का एक मा्रत्र प्रयास यह रहता है कि, मलाषय (गुदा द्वार) से खून का आना रूका रहे और इसके लिए वह अपना ईलाज बिना चिकित्सक की राय लिए, घरेलु उपचार व इधर उधर भटक कर रोग को जीर्णावस्था तक ले जाता है। यहाॅं तक कि बवासीरके दूरगामी परिणामो मे रोगी कैंसर जैसी भयावह बिमारी से भी ग्रसित हो सकता हैं।
होम्योपैथी में बवासीर का बहुत ही असर दायक ईलाज सम्भव है यदि इसमे रोगी 4-5 महीने तक लगातार दवाई ले तो यह सहज ही बिना आॅपरेषन के जड मूल से समाप्त हो जाती है।
इसके अलावा ईलाज षुरू करने के पष्चात मात्र सप्ताह भर मे पुराने से पुराने बवासीर के रोगी का दर्द, जलन व खून गिरना लगभग समाप्त हो जाता है।
डा. राजन सिंह सूद